जीने के लिए ,कुछ खास नहीं चाहिए ,
कुछ मुस्कुराते चेहरे ,
कुछ मुहब्बतें ,
कुछ प्यार भरी नज़रें ,
और कुछ मीठे बोल ,
इतनी सी ,
छोटी सी खवाहिश है मेरी ,
जीने को ,
मैं खूब जीना चाहता हूँ ...
हर पल ,
हर लम्हा ....
मुझे अच्छा लगता है तुमसे कहना ,
कुछ भी सुनना ...
तुम्हारे लिए कुछ भी करना ....
तुम्हारे लबों पर तैरती भीगी सी मुस्कराहट ...
मेरे लिए सुख का अथाह सागर है ...
सुबह की लालिमा है ,
शाम की कजरारी कालिमा है...
जीने को और क्या चाहिए ....
एक खवाब चाहिए......
----देवेंद्र लेखी (30-12-2010)
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