Monday, December 27, 2010

बारिश ...

हर बारिश की अपनी एक अदा हे.....
हर अदा की अपनी एक बारिश ...
हर चेहरे की अपनी एक धूप हे ..
हर धूप की अपनी एक बारिश ..
हर मौसम की अपनी कुछ यादें हे ..
हर याद के अपने ही रंग हे ..
हर याद की अपनी एक बारिश ..
हर रंग की अपनी एक बारिश ..
कितने मौसम कितनी चाहतें
हर चाहत की अपनी एक बारिश..
प्यास दर प्यास कर  डाला कितना सफ़र
हर सफ़र की अपनी एक बारिश
मन  की मिटटी अभी कच्ची हे ,संभलना
कच्ची मिटटी को ढून्ढ लेती हे बारिश
मेरे टूटने का शोर कुछ तो हुआ था
बारिश में सब ने सोचा हो रही हे बारिश..
 written by:-devender lekhi
on:-27-12-2010

1 comment:

  1. good job! Esp the last part is very adorable. The latent meaning in the former part has made me to sleep onto it to "feel" it.

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