जीने के लिए ,कुछ खास नहीं चाहिए ,
कुछ मुस्कुराते चेहरे ,
कुछ मुहब्बतें ,
कुछ प्यार भरी नज़रें ,
और कुछ मीठे बोल ,
इतनी सी ,
छोटी सी खवाहिश है मेरी ,
जीने को ,
मैं खूब जीना चाहता हूँ ...
हर पल ,
हर लम्हा ....
मुझे अच्छा लगता है तुमसे कहना ,
कुछ भी सुनना ...
तुम्हारे लिए कुछ भी करना ....
तुम्हारे लबों पर तैरती भीगी सी मुस्कराहट ...
मेरे लिए सुख का अथाह सागर है ...
सुबह की लालिमा है ,
शाम की कजरारी कालिमा है...
जीने को और क्या चाहिए ....
एक खवाब चाहिए......
----देवेंद्र लेखी (30-12-2010)
this blog is about RangManch:- the world is a stage and we all are performers, playing different characters different roles at the same time. that's the Idea behind my sharing experimenting what I feel, what I think......through words some times it's a poem sometimes it's prose, I mean anything which suits the occasion or the form forcing it's way out.
Thursday, December 30, 2010
Monday, December 27, 2010
बारिश ...
हर बारिश की अपनी एक अदा हे.....
हर अदा की अपनी एक बारिश ...
हर चेहरे की अपनी एक धूप हे ..
हर धूप की अपनी एक बारिश ..
हर मौसम की अपनी कुछ यादें हे ..
हर याद के अपने ही रंग हे ..
हर याद की अपनी एक बारिश ..
हर रंग की अपनी एक बारिश ..
कितने मौसम कितनी चाहतें
हर चाहत की अपनी एक बारिश..
प्यास दर प्यास कर डाला कितना सफ़र
हर सफ़र की अपनी एक बारिश
मन की मिटटी अभी कच्ची हे ,संभलना
कच्ची मिटटी को ढून्ढ लेती हे बारिश
मेरे टूटने का शोर कुछ तो हुआ था
बारिश में सब ने सोचा हो रही हे बारिश..
written by:-devender lekhi
on:-27-12-2010
हर अदा की अपनी एक बारिश ...
हर चेहरे की अपनी एक धूप हे ..
हर धूप की अपनी एक बारिश ..
हर मौसम की अपनी कुछ यादें हे ..
हर याद के अपने ही रंग हे ..
हर याद की अपनी एक बारिश ..
हर रंग की अपनी एक बारिश ..
कितने मौसम कितनी चाहतें
हर चाहत की अपनी एक बारिश..
प्यास दर प्यास कर डाला कितना सफ़र
हर सफ़र की अपनी एक बारिश
मन की मिटटी अभी कच्ची हे ,संभलना
कच्ची मिटटी को ढून्ढ लेती हे बारिश
मेरे टूटने का शोर कुछ तो हुआ था
बारिश में सब ने सोचा हो रही हे बारिश..
written by:-devender lekhi
on:-27-12-2010
Subscribe to:
Posts (Atom)